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एकेएस वि.वि. में डायबिटीज पर अतिथि व्याख्यान डायबिटीज फिजिकल कम मेंटल बीमारी ज्यादा है: डाॅ. सत्यम त्रिपाठी-हांगकांग

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सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना के सभागार में डिपार्टमेंट आॅफ फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। डाॅ. सत्यम त्रिपाठी, बी.ए.एम.एस., एम.डी., योगा एण्ड रिहैबिलिटेशन/थैरेपी कंसल्टेंट, डायरेक्टर यूनियन सेंटर पीटीई लिमि. हांगकांग, ने इंटीग्रेशन आॅफ एलोपैथिक, आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड योगा एज होलिस्टिक प्रोटोकाल इन टाइप-2 डायबिटीज पर फार्मेसी विभाग के विद्यार्थियों को सम्बोधित किया।
व्याख्यान की प्रमुख बातें
डाॅ. सत्यम त्रिपाठी ने टाइप-2 डायबिटीज पर जानकारी देते हुए कहा कि ग्लूकोज, आॅक्शीजन और इन्सुलिन का सही समायोजन हो तो डायबिटीज नहीं होती है। वर्तमान में हो रहे रिसर्च की तथ्यात्मक जानकारियों के साथ उन्होंने कहा कि डायबिटीज होने के बाद ज्यादा भूख लगना, ज्यादा प्यास लगना और कई बार पेशाब के लिये जाना प्रमुख लक्षण होते हैं। डायबिटीज तब होती है जब इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाता है और तनाव कई घंटे, कई दिन, कई महीने तक कायम रहता है। इससे स्ट्रेस बढ़ता है और मोटापा भी। स्ट्रेस और मोटापा घटाने के लिये व्यक्ति को एक्सरसाइज और योग का सहारा लेना चाहिए और योग पेनक्रियाज से इन्सुलिन के सिक्रेशन को बढ़ाने वाले योग जैसे अर्द्धमत्यायन, धनुरासन और मयूरासन से पेट पर दबाव बढ़ता है और फैट लेवल घटता है। अग्निसार और मौली अवस्था जिसमें पेट अन्दर खींचकर आगे की तरफ झुका जाता है भी आयुर्वेद के लिहाज से डायबिटीज के नियंत्रण में कारगर है। डाॅ. सत्यम ने बताया कि डायबिटीज अगर हो चुकी है तो हमें खूब चलने की आदत डालनी है, गहरी सांसें लेनी हैं, शांत रहना है और आराम व सही खानपान का विशेष रूप से घ्यान रखना चाहिए। योग का उद्देश्य मस्तिष्क पर सही नियंत्रण रखना है, रिसर्च कहती हैं कि 45 दिन का वमन व विरेचन जिसमें दवा देने के बाद उल्टी करवाई जाती है भी काफी कारगर रहा है। उन्होंने बताया कि कई बार डायबिटीज मेंटल बीमारी ज्यादा और फिजिकल बीमारी कम होती है। उन्होंने बताया कि हांगकांग में स्टेम सेल से कई बीमारियां जड़ से निराकृत की जाती हैं। डाॅ. त्रिपाठी ने बताया कि स्टेम सेल के माध्यम से ही कई रोगियों को डायबिटीज पूरी तरह क्योर किया गया। आॅक्शीजन जीवन के लिये अति आवश्यक है, आप और हम कहीं भी रहें, गहरी सांस लेनी चाहिये और 21वीं सदी के दबाव और लाइफ स्टाइल को मैनेज करने के लिये हमें प्रकृति के करीब जाना चाहिये।
ये रहे उपस्थित
अतिथि व्याख्यान के दौरान वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, इंजी. आर.के. श्रीवास्तव, डाॅ. सूर्यप्रकाश गुप्ता, डाॅ. कमलेश चैरे, श्री आर.सी. त्रिपाठी के साथ वि.वि. के फार्मेसी और बायोटेक के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

 

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Guest Friday, 19 April 2024