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एकेएस विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग एवं वन मण्डल, सतना के तत्वाधान में अंर्तराष्ट्रीय वानिकी दिवस के उपलक्ष्य पर परसमनिया पठार के पटिहट वन क्षेत्र में एक दिवसीय कार्यशाला के मुख्य अतिथि डाॅ. एम. काली दुरई (आई.एफ.एस.) मुख्य वन संरक्षक, रीवा रहे उन्होने जल और जंगलो को संरक्षित करने के लिए आदिवासियों को समझाया एवं वनो से होने वाले लाभो पर भी प्रकाश डाला। डाॅ. एम.काली दुरई ने परसमनिया पठार के जंगलो की जैव विविधता को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए वन विभाग से हर संभव सहायता और नई योजनाओं को प्रदान करने का विश्वास दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. हर्षवर्धन श्रीवास्तव प्रतिकुलपति एकेएस विश्वविद्यालय, सतना ने उद्बोधन में ग्रामीण आदिवासियों को बताया कि किस तरह वन में रहते हुये कार्य किए जा सकते है जिससे जंगल के समीप रहने वालों की जीविका सुचारू रूप से चल सके।कार्यक्रम में डाॅ. आर.एन. त्रिपाठी एकेएस वि.वि. ने आदिवासियों को वनो को सुरक्षित रखने और वनो से होने वाले लाभो पर प्रकाश डाला। डाॅ. तोमर कृषि विभाग एकेएसवि.वि. ने आदिवासियों को औषधीय पौधो से लाभ और उनकी खेती विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के आयोजक डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी द्वारा परसमनिया पठार में मौजूद वनस्पतिक, जैव विविधता पर आदिवासियों को जानकारी दी। भूपेन्द्र सिंह के द्वारा परसमनिया पठार में मौजूद वनस्पतिक जैव विविधताओं पर प्रकाश डाला गया।
नाटक का मंचन रहा प्रभावशाली
एक दिवसीय कार्यशाला में एकेएस विश्वविद्यालय के एम.एस.डब्ल्यू. के छात्र-छात्राओं के द्वारा नाटक के माध्यम से आदिवासी और ग्रामीणों को वनो से होने वाले लाभो और वनो के नष्ट होने से जो पर्यावरण में असंतुलन होने के साथ म.प्र. शासन द्वारा आदिवासियो, महिलाओं और कन्याओं के कल्याण के लिए चलाई जा रही सभी योजनाओं की जानकारी परसमनिया पठार के आदिवासी ग्रामीणों को प्रदान की गयी। कार्यक्रम में सुरेश कुमार एस.डी.ओ. वन मण्डल सतना, श्री बी. सिंह एस.डी.ओ. वन, मैहर, जिला संरपच संघ के जिलाध्यक्ष जुगुल किशोर पाठक, डिप्टी रेंजर रमाशंकर त्रिपाठी, रेंज पटिहट, वन रक्षक, बीट गार्ड, वन रक्षक समितियों के अध्यक्ष, वैद्य, ग्रामीण, महिलाऐं, आदिवासी ग्रामीण, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं राजू सिंह उपस्थित रहे।
वनों के संरक्षण संकल्प के साथ संम्पन्न हुआ कार्यक्रम
सभी ने अंर्तराष्ट्रीय वानिकी दिवस पर आयोजित कार्यशाला में वनो को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने का संकल्प लिया।