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सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना द्वारा 11 जनवरी 2017 को प्रारंभ किया गया गौअमृत चिकित्सा केन्द्र 11 जनवरी को 1 वर्ष पूर्ण कर रहा है। इन 1 वर्षों के दौरान यह केन्द्र अपने उद्देश्यों में काफी हद तक सफल रहा है। इसकी स्थापना के वक्त इस बात की कोशिश की गई थी कि भारत की प्राच्य चिकित्सा पद्धति को पुनर्जीवित करना है। ज्ञातव्य है कि यहां पर गौमूत्र एवं गौ के विभिन्न उत्पादों के द्वारा सभी फसलों के संरक्षण एवं उसमें लगने वाले कीट व्याधियों से फसलों को मुक्त करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है। इस दिशा में आयुर्वेदिक पद्धति से व कृषि कल्याण विभाग के सहयोग एवं मार्गदर्शन से इस केन्द्र के चिकित्सा विशेषज्ञ वैद्य अब्दुल वारसी द्वारा असाध्य रोगों जैसे मिरगी, वात, किडनी की पथरी, घुटनों का दर्द, ंसाइटिस आदि रोगों पर गौमूत्र की आयुर्वेदिक पद्धति से निदान किया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं। अनेक पीड़ित रोगियों पर सफलतापूर्वक इसका परीक्षण करते हुए उन्हें रोगमुक्त किया गया है। इस केन्द्र के चिकित्सा विशेषज्ञ को 35 वर्षों का अनुभव है। अब्दुल वारसी द्वारा सतना जिले के विभिन्न ग्रामों में आयोजित विशेष शिविरों में जैविक खाद तैयार करने, गौमूत्र का फसल चक्र में व्याधि कीटों आदि की रोकथाम संबंधी गहन प्रशिक्षण ग्रामवासियों को दिया गया है और इसके सफल व सकारात्मक परिणाम किसानों को प्राप्त हुए हैं। एकेएस वि.वि. द्वारा निर्मित गौअमृत फसल रक्षक कीट नियंत्रण दृव्य का प्रयोग कृषकों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है। श्री अब्दुल वारसी द्वारा जिले के आयोजनों में होने वाले कृषि मेलों, कृषि संगोष्ठी में अपने प्रभावकारी उद्बोधन से अधिकांश क्षेत्रों में वि.वि. का नाम रोशन किया है साथ ही वि.वि. प्रबंधन का यह संकल्प है कि जिले के कृषकों को कृषि संकाय के विशेषज्ञों के माध्यम से दोगुनी फसल प्राप्त करने के उपायों के बारे में सतना जिले के एवं आसपास के अन्य जिलों के कृषकों को लाभान्वित कराया जायेगा।