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एकेएस वि.व. में शैक्षणिक उन्नत गतिविधियों के द्वारा सामाजिक और आर्थिक स्थिति के मद्देनजर किए जा रहे नवाचार निरंतर चर्चा में रहते हैं इसी कडी में Basic Science में कार्यरत Faculty डाॅ.शेलेन्द्र यादव और उनकी रिसर्च स्काॅलर शुषमा सिंह ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि के तहत एल्सेवियर की एक प्रतिष्ठित पत्रिका में स्थान प्राप्त किया है जिसे विषय के लिहाज से काफी सराहा गया है उन्होंने कुछ नए पेस्टीसाइड का संस्लेषण किया है उन्होंने बताया कि सेस्लेशित Pesticides कुमारिन डेरिवेटिव भविष्य में बहुत उपयोगी साबित होगें। डाॅ.यादव और शुषमा ने कहा कि आर्गेनिक Chemistry और Medical Chemistry के लिहाज से कुमारिन डेरिवेटिव सेस्लेशित पेस्टीसाइड की एप्लीके शन काफी उपयोगी है। लेकिन इसका एक्यूट प्रभाव नकारात्मक न हो, एलर्जी के साथ अन्य बीमारियाॅ इनके प्रयोग से न हो इस बात का विशेष ध्यान रिसर्च ओर कार्यों में रखा जाएगा। पेस्टीसाइडस के बारे में उन्होंने बताया कि एकेएस वि.वि. के सभी शिक्षण विभागों में अंतरराष्ट्रीय मानक के शिक्षकों, अध्यापन और गंभीर शोध कार्यो के लिए एक अच्छा माहौल होने से विशिष्ट कार्यो की प्रेरणा मिलती है, संस्लेशित पेस्टीसाइडस का प्रयोग 1930 से ही प्रारंभ हो चुका है पर आज 500 से ज्यादा की संख्या में इंसेक्टस और माइटस के होने के कारण इनको रोकना काफी बडी चुनौती साबित हो रही है क्योंकि इन पर अब कई Pesticides का असर भी होना बंद हो गया है। अब तक 160 से ज्यादा पेस्टीसाइडस लिस्टेड हैं और इन इंसेक्टस और माइटस से बचाने के लिए प्रयास निरंतर जारी हैं आर्गेनोक्लोरीन, आर्गेनोफास्फेटस, कार्बामेटस और पाइरेथ्रोइडस जैसे सिन्थेटिक पेस्टीसाइडस पमुखता से उपलब्ध हैं। कुमारिन डेरिवेटिव पर उनकी उपलब्धि पर वि.वि. क ेप्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी,डीन बेसिक साइंस डाॅ.आर.एन.त्रिपाठी,विभागाध्यक्ष डाॅ दिनेश मिश्रा,कान्हा सिंह तिवारी,मनोज कुमार,डाॅ.समित कुमार,नाहिद उस्मानी,दिनेश बाल्मीक तथा सुदरम खरे ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाऐं दीं हैं।