Joomla Business Themes by Web Host

  • Home
    Home This is where you can find all the blog posts throughout the site.
  • Categories
    Categories Displays a list of categories from this blog.
  • Archives
    Archives Contains a list of blog posts that were created previously.

एकेएस वि.वि. के MSW विभाग की कार्यशाला में सहभागिता विभागाध्यक्ष मंजू चैटर्जी और तीन छात्रों की सहभागिता

Posted by on in Daily University News in Hindi
  • Font size: Larger Smaller
  • Hits: 571
  • 0 Comments
  • Subscribe to this entry
  • Print

b2ap3_thumbnail_msw_20211230-125203_1.jpg

संवेदनशीलता,मानवीयता,करुणा,सकारात्मकता के साथ समाज से हिंसा विलोपित हो और हम सभ्य समाज का हिस्सा बने हमें अपने नैतिक कर्तव्यों और अधिकारो का बोध हो ऐसे ही विविध पहलुओं को लेकर एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के एमएसडब्ल्यू विभाग की विभागाध्यक्ष मंजू चैटर्जी के मार्गदर्शन में डिपार्टमेंट आॅफ एमएसडब्ल्यू के तीन विद्यार्थियों सुधीर पाठक, इंदिरा सोनी और मेनका सोनी ने 23, 24 और 25 नवंबर को राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट समा संस्था दिल्ली द्वारा भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। कार्यशाला में जेन्डर आधारित हिंसा के स्वरुप पर विस्तारित विमर्श हुआ। समाज में पुरुष और महिलाओं के साथ ज्यादातर हिंसा हुई इस पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए रीना जी, एडवोकेट एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। कोराना के समय में हिंसा में बढोत्तरी हुई, परिवारों में क्या सकारात्मक और नकारात्मक तत्व जुडे इसके क्या कारण रहे पर भी चर्चा के साथ निवारण पर भी बहस की गई। हिंसा लगातार यानी कोविड-19 के पहले से हो रही है या इसके स्वरुप में परिवर्तन हुआ पर भी विमर्श हुआ। कार्यशाला में पुलिस प्रशासन की संजीदगी ओर लापरवाही के परिणामों पर सारगर्भित बात की गई। मीडिया के बढते दखल के बीच क्या परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं और समाज के क्या दायित्व है और समाज क्यों बदल रहा है इस पर भी गहन चर्चा हुई। पाॅस्को एक्ट-2012, महिला हिंसा एवं घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम,2005, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013,मानव अधिकार आयोग के दिशा निर्देश,महिला आयोग के दिशा निर्देश पर चर्चा के साथ कानूनों के प्रावधानों को भी जाना। यह कार्यशाला विद्यार्थियों के कॅरियर के लिहाज से काफी अहम रही जिसमें प्रतिभा सिंह ट्रेनर ने कई तथ्यों के साथ जानकारी साझा की। जो दिखता है उससे इतर क्या सही है पर पुलिस प्रशासन, मीडिया और समाज की भूमिका रेखंकित करते हुए परिचर्चा में मंजू चैटर्जी की कविता जिंदगी की सीलन में दीमक बनों और रातों-रात बंद इन दीवारों की खिडकियों, रोशनदान और दरवाजों को चाल दो ....को काफी सराहा गया।

 

0

Comments

  • No comments made yet. Be the first to submit a comment

Leave your comment

Guest Tuesday, 16 April 2024